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केदारनाथ सिंह : बिम्ब विधान के कवि

भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ से सम्मानित कवि केदारनाथ सिंह आधुनिक हिंदी कविता में बिम्ब के कवि के रूप में जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में 7 जुलाई, 1934 को पैदा हुए केदारनाथ सिंह पेशे से एक शिक्षक थे। उनके बारे में उनसे पढ़े हुए विद्यार्थी बताते हैं कि वे जितने अच्छे कवि हैं, कक्षा में उतने ही श्रेष्ठ शिक्षक भी रहे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद कुछ समय उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ही अध्यापन कार्य किया। अंत में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बतौर आचार्य और अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे और सेवानिवृत्त हुए। केदारनाथ सिंह, अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरे सप्तक जिसका प्रकाशन 1959 ई में हुआ, से प्रकाश में आते हैं और उसके बाद उनका रचनात्मक और उर्वर धरातल हिंदी कविता के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता चलता है। ‘अभी बिलकुल अभी’ उनका पहला काव्य संग्रह भी 1960 ई में […]

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“कर्नाटक का भूगोल: प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर”

प्रिय पाठकों, इस ब्लॉग में हम एक रोमांचक और ज्ञानवर्धनकारी यात्रा पर निकलने जा रहे हैं, जो हमें भारतीय भूगोल के एक महत्वपूर्ण राज्य – कर्नाटक के भूगोलिक रूपरेखा में ले जाएगी। कर्नाटक, जिसकी स्थापना केंद्रीय भारत के दक्षिण पश्चिमी भाग में हुई है, अपने प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस यात्रा में हम भूखंड और भू-प्राकृतिक संसाधनों की गहराईयों में खोजी करेंगे, प्रमुख नदियों और झीलों की सुंदरता में नाविक बनेंगे, उच्च और मध्य पर्वत श्रेणियों की ऊँचाइयों को छूने का प्रयास करेंगे, और वनस्पतियों और वन्यजीवों के बारे में रोचक जानकारी प्राप्त करेंगे। कर्नाटक का भूगोल हमें इस राज्य की विविधता और समृद्धि की कहानी सुनाता है, जो हमारी यात्रा को और भी रोमांचक बनाते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको कर्नाटक के भूगोलिक रहस्यों में ले जाने का प्रयास करेंगे और आपको इस अद्वितीय भूगोलीक प्रदेश के पीछे की […]

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केरल “दक्षिण का स्वर्ग”

नमस्कार पाठकों! आज हम आपको एक रोमांचक यात्रा पर ले जाएंगे जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक राज्य, केरल, के अनूठे भूगोलिक रूपरेखा के पीछे की कहानी पर आधारित है। केरल, भारतीय महासागर के तट पर बसा हुआ, एक रोमांचक प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ भरपूर है। यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्यता को देखते हुए केरल को ‘दक्षिण का स्वर्ग’ भी कहा जाता है। केरल का भूगोल बिल्कुल विविध है और यह कई प्राकृतिक सौंदर्य स्थलों से भरपूर है, जैसे कि वीडुक्कल का तापु, मुनार की पहाड़ियाँ, आलप्पुज्हा के अद्भुत समुंद्र तट आदि। केरल के भूगोल का अद्वितीय पहलू उसके पशु-पक्षियों में है। यहाँ केरल के आनोचे वन्यजीव जीवन का आनंद लेने का अवसर मिलता है, जैसे कि एलीफेंट, बाघ, लकड़बग्घा, मर्मोसेट, आदि। इसके अलावा, केरल का भूगोल भारतीय संस्कृति और परंपराओं के आदान-प्रदान का भी प्रतीक है। यहाँ की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर यात्रीगण को मन मोह लेती […]

इतिहास से सबसे महत्वपूर्ण मध्यकालीन भारत प्रश्न
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इतिहास से सबसे महत्वपूर्ण मध्यकालीन भारत प्रश्न

satyadhisharmaclasses Satyadhi Sharma Blog – इतिहास से सबसे महत्वपूर्ण मध्यकालीन भारत प्रश्न मध्यकालीन भारत  “प्राचीन काल” और “आधुनिक काल” के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-शास्त्रीय इतिहास की अवधि को संदर्भित करता है। मध्यकालीन युग 6 वीं शताब्दी और 16 वीं शताब्दी के बीच का समय है। प्रारंभिक मध्ययुगीन काल की शुरुआत उन शासकों और राजवंशों द्वारा मानी जाती है जो एक देश के रूप में एक-दूसरे से बिना किसी संबंध के अपने-अपने क्षेत्रों/क्षेत्रों की चिंता कर रहे थे। बाद में चीजें बदल गईं और इस अवधि में कुछ बेदाग शासकों ने बेहतर प्रशासन और शासन के लिए राज्यों को एकजुट करने की दृष्टि दिखाई।  मध्ययुगीन काल स्वयं प्रारंभिक मध्यकालीन और उत्तर मध्यकालीन युगों में विभाजित है। इस अवधि की शुरुआत आमतौर पर लगभग 480 से 550 तक गुप्त साम्राज्य के धीमे पतन के रूप में मानी जाती है , जो “शास्त्रीय” काल के साथ-साथ “प्राचीन भारत” को भी समाप्त करती है। अंतिम मध्ययुगीन काल भारतीय उपमहाद्वीप […]

पद्य साहित्य का इतिहास
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पद्य साहित्य का इतिहास

नमस्कार सत्याधी शर्मा क्लासेस ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से हिंदी साहित्य के पद्य साहित्य के बारे में जानेंगे |   पद्य साहित्य, जो भारतीय साहित्य की एक प्रमुख शैली है, अपार रचनात्मकता और साहित्यिक महत्व के साथ भरपूर है। इसका इतिहास भारतीय साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे विभिन्न युगों में बदलते साहित्यिक परिवेश के अनुरूप विकसित किया गया है। इस पैराग्राफ में हम पद्य साहित्य के विभिन्न युगों की महत्वपूर्ण शैलियों और कवि-काव्यकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। चाहे वे वैदिक काव्य हों या मध्यकालीन काव्य, आदिकाव्य या आधुनिक काव्य, हमें यहां पद्य साहित्य के विकास और महत्व की पूरी जानकारी मिलेगी। पद्य साहित्य, जिसे हम भारतीय साहित्य की एक प्रमुख शैली मानते हैं, काव्य का एक रूप है जिसमें छंद, अलंकार और भाव प्रधानता से प्रयुक्त होते हैं। पद्य साहित्य का इतिहास विभिन्न युगों में विकसित हुआ […]

hindi sahitya हिंदी साहित्य को वैश्विक साहित्य कहा जा सकता है?
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हिंदी साहित्य को वैश्विक साहित्य कहा जा सकता है?

हिंदी वर्तमान समय में केवल शिक्षा एवं साहित्य की भाषा की परिधि तक सीमित नहीं रह गई है। भूमंडलीकरण अथवा वैश्वीकरण के दौर में हिंदी वैश्विक परिदृश्य में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना रही है। हिंदी भाषा के निरंतर होते विस्तारीकरण के पीछे कुछ प्रमुख बातें सामने आती हैं- यह विदेशी भाषाओं के शब्दों को स्वयं में आत्मसात करने की क्षमता रखती है अर्थात् हिंदी भाषा का लचीलापन उसके विकास में सहयोगी सिद्ध हुआ है। हिंदी भाषा को बोलने-समझने वाले व्यक्तियों का संख्या बल काफी अधिक है, जिस कारण यह संपर्क भाषा के तौर पर आसानी से स्थापित हो जाती है। उपभोक्तावादी संस्कृति ने भी हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में काफी योगदान दिया है। बाजार के दृष्टिकोण से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विज्ञापनों और बाजार की भाषा को समझने के लिए हिंदी की ओर बढ़ रही हैं, हालांकि यह एक लाभ केंद्रित दृष्टिकोण ही है परंतु इससे भाषायी प्रसार हो रहा है इसे […]

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