भारत की प्रमुख संधियाँ एवं समझौते

लेखक: सत्याधी शर्मा क्लासेस

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संधियों और समझौतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। ये संधियाँ और समझौते न केवल देशों के बीच संघर्षों को समाप्त करने का एक साधन हैं, बल्कि उनके बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक हैं। भारत, जो एक उभरता हुआ शक्ति है, ने भी समय-समय पर विभिन्न देशों के साथ महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते किए हैं। आइए, भारत की प्रमुख संधियों और समझौतों का विस्तृत विवरण जानते हैं।

भारत-पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान के संबंध हमेशा से ही जटिल रहे हैं। विभाजन के बाद से ही इन दोनों देशों के बीच कई विवाद उत्पन्न हुए, जिनमें से कई आज भी सुलझे नहीं हैं। फिर भी, दोनों देशों ने कुछ महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते किए हैं, जो शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों में महत्वपूर्ण रहे हैं।

सिंधु जल संधि (1960)

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए की गई थी, जिसमें सिंधु नदी प्रणाली की छह प्रमुख नदियों का बंटवारा हुआ। पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, और चेनाब नदियाँ, जबकि भारत को रावी, ब्यास, और सतलुज नदियाँ दी गईं। यह संधि, जो विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई, आज भी जल बंटवारे के विवाद को नियंत्रित करती है और इसे एक सफल संधि माना जाता है।

ताशकंद समझौता (1966)

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, ताशकंद में दोनों देशों ने युद्ध विराम और कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस करने के लिए एक समझौता किया। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंध सुधारने और वार्ता के माध्यम से विवाद हल करने पर सहमति व्यक्त की। हालाँकि, यह समझौता अस्थायी साबित हुआ और बाद में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया।

शिमला समझौता (1972)

1971 के युद्ध के बाद, शिमला में हुए इस समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने विवादों को द्विपक्षीय वार्ता से हल करने और नियंत्रण रेखा (LoC) का सम्मान करने का संकल्प लिया। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा, लेकिन बाद में भी सीमा विवाद और तनाव जारी रहे।

भारत-बांग्लादेश

भारत और बांग्लादेश के संबंध हमेशा से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं। भारत ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके बाद से ही दोनों देशों के बीच अनेक संधियाँ और समझौते हुए हैं।

मैत्री सहयोग और शांति संधि (1972): इस संधि के तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करने का संकल्प लिया।

गंगा जल बंटवारा संधि (1996): इस संधि के अंतर्गत दोनों देशों के बीच गंगा नदी के जल का बंटवारा किया गया।

भूमि सीमा समझौता (2015): इस समझौते के तहत भारत और बांग्लादेश ने अपनी सीमाओं में स्थित एनक्लेव्स का आदान-प्रदान किया।

भारत-भूटान

भारत और भूटान के संबंधों में घनिष्ठता नेहरू जी के कार्यकाल से ही बनी रही है। दोनों देशों ने समय-समय पर विभिन्न संधियाँ और समझौते किए हैं, जो दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करते हैं।

भारत-भूटान मित्रता संधि (1949): इस संधि के तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का संकल्प लिया।

चुक्खा और मांगदेछू जलविद्युत परियोजना: इन परियोजनाओं के तहत भूटान ने भारत को अपनी जलविद्युत उत्पादन की आपूर्ति की, जिससे उसकी आय में भी वृद्धि हुई।

भारत-चीन

भारत और चीन के बीच के संबंधों में सीमा विवाद हमेशा से ही एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा रहा है। फिर भी, दोनों देशों ने कुछ महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते किए हैं, जो उनके बीच शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं।

पंचशील समझौता (1954): इस समझौते में भारत और चीन ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का संकल्प लिया था।

भारत-चीन शांति और ट्रैंक्विलिटी संधि (1993): इस संधि के तहत दोनों देशों ने सीमा पर स्थिरता बनाए रखने का निर्णय लिया।

भारत-रूस

भारत और रूस के बीच के संबंध ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ रहे हैं। दोनों देशों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते किए हैं, जो उनके बीच राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करते हैं।

भारत-सोवियत मित्रता और सहयोग संधि (1971): इस संधि के तहत दोनों देशों ने रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग का संकल्प लिया था।

भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी समझौता (2000): इस समझौते ने 21वीं सदी में भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

भारत-अमेरिका

भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों में पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। दोनों देशों ने महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते किए हैं, जो उनके बीच रक्षा, आर्थिक और वैज्ञानिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं।

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता (2005): इस समझौते ने भारत के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया।

रक्षा सहयोग और व्यापार समझौते (2016): इस समझौते के तहत रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया।

भारत-यूरोपीय संघ

भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंध व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विविध और व्यापक हैं। दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते हुए हैं, जिन्होंने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत किया है।

सहयोग समझौता (1994): इस समझौते ने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को प्रोत्साहित किया और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक ढांचा तैयार किया।

भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी (2004): इस समझौते के तहत व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।

भारत की विभिन्न देशों के साथ संधियाँ और समझौते न केवल उसके राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हैं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता को भी प्रोत्साहित करते हैं। समय-समय पर की गईं ये संधियाँ और समझौते अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सत्याधी शर्मा क्लासेस के साथ जुड़ें और अपने ज्ञान को और बढ़ाएं। हमारे मोबाइल ऐप को Play Store से डाउनलोड करें।