नई दिल्ली में एमपॉक्स: केंद्र सरकार की नई सतर्कता और जानकारी

केंद्र सरकार ने हवाई अड्डों, बंदरगाहों और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान की सीमाओं पर अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। यह चेतावनी विशेष रूप से उन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के संदर्भ में है जिनमें मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। एमपॉक्स तेजी से फैल रहा है और इसका प्रसार अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है।

एमपॉक्स क्या होता है?

एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है, एक वायरल रोग है जो पॉक्सवायरस परिवार से संबंधित है। यह बीमारी आमतौर पर जंगली जानवरों से इंसानों में फैलती है और इसके लक्षणों में त्वचा पर दाने और बुखार शामिल होते हैं। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है।

एमपॉक्स की पहचान 1958 में बंदरों में हुई थी, और इसका पहला मानव मामला 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में रिपोर्ट किया गया था। इस बीमारी की विशेषताएँ इसके फैलने के तरीके और लक्षणों में निहित हैं, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा बन गया है।

दिल्ली में इलाज के लिए अस्पताल

दिल्ली में एमपॉक्स के मरीजों के उपचार और प्रबंधन के लिए तीन सरकारी अस्पतालों को चुना गया है। ये अस्पताल हैं राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल। इन अस्पतालों को नोडल सेंटर के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए और इसकी जानकारी जनता को दी जानी चाहिए।

राज्यों को निर्देश

केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे एमपॉक्स के मामलों के प्रबंधन के लिए अस्पताल तैयार रखें। इन अस्पतालों को नोडल सेंटर के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए और इसकी जानकारी जनता को दी जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा ने रविवार को एक बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में एमपॉक्स के लिए देश की तैयारियों की समीक्षा की गई और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए।

वर्तमान स्थिति

अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल देश में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। निरंतर संक्रमण के बावजूद, बड़े पैमाने पर प्रकोप का जोखिम कम है।

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीका में एमपॉक्स के प्रसार को देखते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय घोषित किया है और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति की घोषणा की है।

वायरस की प्रकृति

एक अधिकारी के अनुसार, इस बार एमपॉक्स वायरस का प्रकार अलग है और यह अधिक विषैला और संक्रामक है। हालांकि, वर्तमान आकलन के अनुसार बड़े प्रकोप का जोखिम कम है।

परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क

स्वास्थ्य मंत्रालय ने रोग के शीघ्र निदान के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क तैयार करने का आदेश दिया है। वर्तमान में, देश में 32 प्रयोगशालाएँ एमपॉक्स के परीक्षण के लिए सुसज्जित हैं।

अंतरराष्ट्रीय आंकड़े

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2022 से 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें हुई हैं।

भारत में मामले

भारत में 2022 से अब तक एमपॉक्स के कम से कम 30 मामले सामने आ चुके हैं। इस साल मार्च में एमपॉक्स का आखिरी मामला दर्ज किया गया था।

लक्षण क्या हैं?

एमपॉक्स के लक्षण सामान्यतः निम्नलिखित होते हैं:

  1. बुखार: रोग के प्रारंभिक चरण में उच्च बुखार हो सकता है।
  2. त्वचा पर दाने: बुखार के बाद शरीर पर दाने और पुटिकाएँ (पुसी) दिखाई देती हैं। ये दाने आमतौर पर चेहरे, हाथों और पैरों पर होते हैं।
  3. सिरदर्द: रोग के साथ सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।
  4. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द हो सकता है।
  5. उदासीनता और थकान: रोग के दौरान सामान्यतः कमजोरी और थकान महसूस होती है।

कैसे बचा जा सकता है?

एमपॉक्स से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. स्वच्छता बनाए रखें: हाथों को बार-बार धोएं और सैनिटाइज़र का उपयोग करें। संक्रमित व्यक्ति या जानवरों के संपर्क से बचें।
  2. स्वास्थ्य जांच: अगर आप संक्रमित क्षेत्र से यात्रा करके लौटे हैं या लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
  3. टीकाकरण: हालांकि विशेष रूप से मंकीपॉक्स के लिए टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन खसरे और चेचक के टीके कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
  4. सावधानीपूर्वक संपर्क: संदिग्ध या संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क न करें और सार्वजनिक स्थानों पर सतर्क रहें।

इस प्रकार, एमपॉक्स के प्रसार को देखते हुए सतर्कता बनाए रखना और उचित प्रबंधन के उपायों को लागू करना आवश्यक है। सभी नागरिकों को सावधान रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध लक्षण की स्थिति में तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।